
Nifty 50 and Sensex : निफ्टी 50 और सेंसेक्स में 5% तक की गिरावट आ सकती है, अगर टैरिफ लागू हुए
शोध से पता चलता है कि अमेरिका के टैरिफ से भारतीय शेयर बाजार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, खासकर आईटी, फार्मा, और ऑटो सेक्टर पर। यह संभावना है कि निफ्टी 50 और सेंसेक्स में 5% तक की गिरावट आ सकती है, अगर टैरिफ लागू हुए। घरेलू खपत और सरकार की नीतियां बाजार को कुछ हद तक संभाल सकती हैं, लेकिन निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है। अप्रत्याशित रूप से, कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि लंबे समय में भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था इन चुनौतियों से उबर सकती है।
अमेरिका के टैरिफ का भारतीय शेयर बाजार पर असर एक जटिल मुद्दा है, जो व्यापार, अर्थव्यवस्था, और निवेशकों के भरोसे से जुड़ा है। 2025 में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल से भारत समेत कई देशों पर रिसिप्रोकल टैरिफ लागू करने की घोषणा की है, जिसका मतलब है कि अगर भारत अमेरिकी सामान पर ज्यादा टैक्स लगाता है, तो अमेरिका भी हमारे निर्यात पर उतना ही टैक्स लगाएगा। यह भारतीय कंपनियों, खासकर आईटी, फार्मा, और ऑटो सेक्टर को प्रभावित कर सकता है, और शेयर बाजार पर इसका सीधा असर पड़ सकता है।
मुख्य प्रभाव और सेक्टर
टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले सेक्टर हैं:
आईटी: कंपनियां जैसे टाटा कंसल्टेंसी, इंफोसिस, और विप्रो, अमेरिका में सेवाएं देती हैं। अगर टैरिफ बढ़े, तो उनकी कमाई कम हो सकती है, जिससे शेयर की कीमतें गिर सकती हैं।
फार्मास्यूटिकल्स: भारत की दवाइयां अमेरिका में लोकप्रिय हैं, लेकिन टैरिफ से निर्यात में 2-7 बिलियन डॉलर की कमी आ सकती है, जिससे छोटी कंपनियां प्रभावित होंगी।
ऑटोमोबाइल्स: यह सेक्टर कम प्रभावित होगा, क्योंकि अमेरिका में भारतीय गाड़ियों का निर्यात कम है, लेकिन जवाबी टैरिफ से उपभोक्ता प्रभावित हो सकते हैं।
शेयर बाजार की प्रतिक्रिया
हाल के दिनों में, निफ्टी मेटल इंडेक्स 5.6% गिरा है, और फार्मा, आईटी शेयरों में बिकवाली देखी गई। मार्च 2025 में सेंसेक्स और निफ्टी में 1% की बढ़त भी आई, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर टैरिफ लागू हुए, तो 5% तक की गिरावट संभव है। विदेशी निवेश (FDI) कम हो सकता है, और रुपया कमजोर होगा, जो बाजार को और दबाव में ला सकता है।
अमेरिका के टैरिफ का भारतीय शेयर बाजार पर प्रभाव
नमस्ते, दोस्तों! अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं या अर्थव्यवस्था में रुचि रखते हैं, तो हाल के दिनों में अमेरिका के टैरिफ की खबरें सुनी होंगी। लेकिन क्या ये टैरिफ वाकई हमारे शेयर बाजार को प्रभावित करते हैं? चलिए, इसे आसान भाषा में समझते हैं।
टैरिफ मतलब है कि कोई देश दूसरे देश से आने वाले सामान पर टैक्स लगाता है। मान लीजिए, अमेरिका ने भारतीय दवाइयों या आईटी सेवाओं पर ज्यादा टैक्स लगा दिया, तो भारतीय कंपनियों को वहां सामान बेचना मुश्किल हो जाएगा। 2025 में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल से भारत समेत कई देशों पर “रिसिप्रोकल टैरिफ” लागू करने की घोषणा की है, जिसका मतलब है कि अगर भारत अमेरिकी सामान पर ज्यादा टैक्स लगाता है, तो अमेरिका भी हमारे सामान पर उतना ही टैक्स लगाएगा।
भारत के लिए यह चिंता की बात है, क्योंकि अमेरिका हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2024 में, भारत ने अमेरिका को 52.89 बिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया, जिसमें आईटी सेवाएं, दवाइयां, और वस्त्र शामिल हैं ([India-US Trade Relations Under Trump’s Tariffs](https://www.india-briefing.com/news/india-us-trade-relations-under-trumps-tariffs-36416.html/)). अगर टैरिफ बढ़े, तो ये कंपनियां प्रभावित होंगी, और शेयर बाजार पर इसका सीधा असर पड़ेगा। चलिए, इसे विस्तार से समझते हैं।
टैरिफ का असर: कौन से सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे?
पहले समझते हैं कि टैरिफ किस तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था को छूएगा। मुख्य रूप से तीन सेक्टर-आईटी, फार्मास्यूटिकल्स (दवाइयां), और ऑटोमोबाइल्स—इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
1. आईटी सेक्टर: भारत की आईटी कंपनियां जैसे टाटा कंसल्टेंसी, इंफोसिस, और विप्रो, अमेरिका में बहुत सारी सेवाएं देती हैं। अगर अमेरिका ने इन सेवाओं पर टैक्स बढ़ा दिया, तो कंपनियों की कमाई कम हो सकती है। उदाहरण के लिए, अगर टैरिफ 25% हो जाए, तो इन कंपनियों को अपने दाम बढ़ाने पड़ सकते हैं, जिससे अमेरिकी ग्राहक कम ऑर्डर दे सकते हैं। यह शेयर बाजार में इन कंपनियों के शेयरों की कीमतों को नीचे ला सकता है।
2. फार्मास्यूटिकल्स: भारत “फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड” कहलाता है, और अमेरिका में हमारी जेनेरिक दवाइयां बहुत लोकप्रिय हैं। लेकिन अगर अमेरिका ने इन पर टैरिफ बढ़ा दिया, तो दवाइयों की कीमत बढ़ेगी, और छोटी कंपनियां तो बंद होने की कगार पर आ सकती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2025-26 में भारत के निर्यात में 2 से 7 बिलियन डॉलर की कमी आ सकती है ([How much will Donald Trump’s reciprocal tariffs cost India?](https://www.indiatoday.in/business/story/india-economic-impact-how-much-will-donald-trump-reciprocal-tariffs-cost-2689754-2025-03-06)). यह फार्मा सेक्टर के शेयरों पर भारी दबाव डालेगा।
3. ऑटोमोबाइल्स: यह सेक्टर थोड़ा कम प्रभावित होगा, क्योंकि अमेरिका में भारतीय गाड़ियों का निर्यात कम है। लेकिन अगर भारत ने जवाबी टैरिफ लगाए, तो अमेरिकी गाड़ियों जैसे फोर्ड या टेस्ला की कीमतें बढ़ेंगी, जो भारतीय उपभोक्ताओं को प्रभावित कर सकती हैं। इससे ऑटो कंपनियों के शेयरों पर भी असर पड़ सकता है, हालांकि यह सीमित होगा ([US Tariff Impact On India](https://manufacturing.economictimes.indiatimes.com/news/industry/us-tariff-imposition-to-hit-pharma-segment-auto-sector-likely-to-face-minimal-impact/118831206)).
इन सेक्टरों के शेयरों पर असर पड़ेगा, क्योंकि निवेशक कंपनियों की कमाई कम होने की आशंका में उनके शेयर बेच सकते हैं। इससे निफ्टी 50 और सेंसेक्स जैसे इंडेक्स डाउन हो सकते हैं।
शेयर बाजार पर सीधा असर: क्या हुआ और क्या हो सकता है?
अब तक, शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखा गया है। मार्च 2025 में, जब ट्रंप ने टैरिफ की बात की, तो निफ्टी मेटल इंडेक्स 5.6% गिर गया, क्योंकि धातु कंपनियां निर्यात पर निर्भर हैं ([2025 Trade War & Its Impact on India](https://www.wrightresearch.in/blog/new-us-china-trade-war-and-its-impact-on-india/)). फार्मा और आईटी शेयरों में भी बिकवाली देखी गई। लेकिन 5 मार्च को सेंसेक्स और निफ्टी में 1% की बढ़त भी आई, क्योंकि वैश्विक बाजार मजबूत थे और कच्चे तेल की कीमतें कम हुईं ([Why Indian markets defied US reciprocal tariff threats, rebounded with 1% gain](https://indianexpress.com/article/explained/explained-economics/defying-us-reciprocal-tariff-threats-markets-rebound-with-1-gain-9870949/)).
लेकिन लंबे समय में, अगर टैरिफ लागू हुए, तो विशेषज्ञों का मानना है कि सेंसेक्स और निफ्टी में 5% तक की गिरावट आ सकती है, जैसा कि गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट कहती है ([How tariffs are forecast to affect US stocks](https://www.goldmansachs.com/insights/articles/how-tariffs-are-forecast-to-affect-us-stocks)). निवेशक डर सकते हैं, और विदेशी निवेश (FDI) भी कम हो सकता है, क्योंकि रुपया कमजोर होगा, जो बाजार को और दबाव में ला सकता है।
2018 का सबक
2018 में भी ट्रंप ने चीन पर टैरिफ लगाए थे, और भारत भी प्रभावित हुआ था। उस वक्त, भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट आई थी, खासकर आईटी और टेक्सटाइल सेक्टर में। उदाहरण के लिए, टाटा कंसल्टेंसी के शेयर 10% गिर गए थे, क्योंकि अमेरिकी ग्राहकों ने ऑर्डर कम किए। लेकिन भारत ने जवाबी कदम उठाए, जैसे अमेरिकी अखरोट और सेब पर टैक्स बढ़ाया, जिससे दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हुई ([Analysis: The potential economic effects of Trump’s tariffs and trade war, in 9 charts](https://www.pbs.org/newshour/economy/analysis-the-potential-economic-effects-of-trumps-tariffs-and-trade-war-in-9-charts)).
इससे हमें सबक मिलता है कि टैरिफ युद्ध लंबे समय तक चल सकते हैं, और भारतीय कंपनियों को घरेलू बाजार पर ध्यान देना होगा। 2025 में भी भारत सरकार टैरिफ कटौती की पेशकश कर रही है, जैसे बादाम और क्रैनबेरी पर टैक्स कम करना, ताकि अमेरिका को मनाया जा सके
आर्थिक और बाजार के व्यापक प्रभाव
टैरिफ का असर सिर्फ शेयर बाजार तक सीमित नहीं है। गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि भारत की GDP पर 0.1-0.6% का असर पड़ेगा, जो बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन रोजगार और घरेलू आय पर असर पड़ सकता है
भविष्य का नजरिया: क्या करना चाहिए निवेशकों को?
अब सवाल यह है कि आगे क्या होगा? अगर टैरिफ लागू हुए, तो शॉर्ट टर्म में मार्केट डाउन हो सकता है, लेकिन लंबे समय में भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और घरेलू खपत इसे संभाल सकती है। निवेशकों को चाहिए कि वे डायवर्सिफाई करें, यानी सिर्फ एक सेक्टर पर निर्भर न रहें। घरेलू कंपनियां जैसे रिलायंस या एचडीएफसी बैंक में निवेश करना सुरक्षित हो सकता है।
सरकार को भी कदम उठाने होंगे, जैसे निर्यात को बढ़ावा देना और घरेलू उद्योग को मजबूत करना। अगर भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता हुआ, तो यह मार्केट को राहत दे सकता है ([India and US making progress towards trade deal, officials say](https://www.reuters.com/world/india-us-making-progress-towards-trade-deal-officials-say-2025-03-29/)).